Saturday, August 8, 2015

बिहार चुनाव! एक युवा बिहारी! का मोदीजी को सुझाव

मोदीजी प्रणाम! यूँ तोह पुरे देशवाशियों की आपसे कई अपेक्षाएं हैं सब कुछ न कुछ आश लगाये बैठें हैं, ऐसा प्रतीत होता है लोगों ने आपको वह जादूगर समझ लिया है जिसके पास जादुई कलम थी जिससे वह अपनी कल्पना को प्रत्यक्ष सजीव स्वरुप दे सकता था! सच आप देश में अभी भी बहुत लोकप्रिय हैं और अब तोह विदेशों में भी आपकी चर्चा जोरों पे है, मैं इसी भारत देश के बिहार प्रान्त का साधारण सा युवक हूँ जिसने आपमें ही देश के प्रधानमंत्री की कल्पना की थी और वो साकार हुआ, मेरी भी आपसे कई आशाएं हैं पर मैं जानता हूँ की आप जादूगर नहीं हैं आप देशहित में सर्वस्व दे रहे हैं, देश को गतिशील बनाये रखने का हर संभव कोशिश कर रहे हैं पर चिंता की बात यह है की देश की गतिशीलता राज्यों के ऊपर ही निर्भर करती है. राज्य ही वे पहिये हैं जिनके सहारे देश समृद्धि की ओर बढ़ सकता है अतः सभी राज्यों के विकाश के बिना देश के विकाश की कल्पना नहीं की जा सकती. चूँकि मेरा सम्बन्ध बिहार राज्य से है जिसने दशकों से अपने कमजोर पहियों के वजह से देश की गति मंथर की है, हाँ! इस दशक में सुधार की चिंगारी भड़की जरूर थी पर सत्तालोलुपता के भेंट चढ़ गयी! हालात ऐसे आ बैठे हैं जिनसे विकाश की उम्मीद की थी वो स्वंय बिहार में जंगलराज का पुनः सृजन करने को आतुर हैं सर मैं नितीश कुमार की बात कर रहा हूँ जिन्होंने विगत सालों में बिहार को कुछ सुधार का स्वाद जरूर चखाया पर अब लालूजी से गठबंधन कर लिए हैं वही लालूजी! जिन्होंने गाय, भैंस का चारा तक हजम कर लिया ओर बिहार की इस दयनीय परिस्थित के सबसे अहम पात्र हैं! ऐसी गठबंधन से कुछ उम्मीद लगाना मूर्खता ही होगी ओर इन्हे जिताना खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारना होगा, पर यह भी बात ध्यान रखने योग्य है की विकल्प क्या है हम बिहार वासियों के पास?! क्या बीजेपी एक शशक्त विकल्प है?!
सर अगर विकल्प की बात की जाये तोह हाँ! बीजेपी एक विकल्प जरूर है पर उसकी शश्क्ता में कुछ कमी सी लगती है, एक ऐसे उमीदवार का अभाव सा लगता है जिनके माध्यम से जनता को बिहार के विकसित होने का सपना साकार होता नजर आ सके, आपके गठबंधन हम ओर लोजपा भी प्रभावशाली नजर नहीं आती ! आधे से ज्यादा नेता तोह ऐसे ही निकलेंगे जो एक बार जीत गए तोह अपनी झोली पहले भरेंगे फिर कुछ राज्य की सोचेंगे! ये तोह हमारे राज्य की विडम्बना है की अच्छे लोग राजनीती में नहीं आना चाहते या यूँ कहें की आ ही नहीं सकते! ओर जो आ भी जाते हैं कुर्सी के रंग ही रंग जाते हैं इसका यह मतलब नहीं की सभी राजनेता चोर और बुरे हैं कई ऐसे भी नेता हैं जो ईमानदार हैं और भली भांति अपना काम किये जा रहे हैं मुझे विश्वाश है कि बिहार बीजेपी का नेतृत्व आप खूब परखकर चयन करेंगे!
यूँ तोह सभी राज्य अपने अपने विकाश कार्य में व्यस्त है दक्षिण के कुछ राज्यों कि प्रतिस्पर्धा देखते बनती है ऐसे में अल्प विकाश का स्वाद चखे बिहार में प्रचुर संभावनाएं हैं जिनपर अमली जामा पहनाकर न सिर्फ बिहार को देशपटल पर लाया जा सकता है पर बिहार के लोगों को भी जीविका, शिक्षा के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा अपने राज्य कि सीमा में ही वे स्वावलम्बी बन सकेंगे.मनुष्य आशावादी है आशा पर ही जीता है अतः मुझे भी यह आशा है कि आपके नेतृत्व में बिहार समृद्धि कि नए आयाम कायम करेगा! धीरे धीरे पढ़े लिखे शिक्षित देशसेवा राज्यसेवा कि भावना से भरे लोग बिहार कि राजनीती में आएंगे बिहार का रूप बनेंगे और भारत के विकशित होने का लक्ष्य जल्द ही पूरा होगा!
अंत में  सुझाव हैं जो मैं क्रमबद्ध करता हूँ
१. ये चुनाव जातिवाद से हटकर लड़ा जाना चाहिए (जातिवाद में लिप्त विकसित बिहार की परिकल्पना असंभव है )बहुत देख लिया बिहार ने यादव भूमिहार राजपूत ब्राह्मण कोइरी कुम्हार बनिया पासी मुसहर इत्यादि  के मध्य फुट डालने वाली राजनीती का खेल अब हम एक संयुक्त बिहार का समृद्ध पत्र बनना चाहते हैं हाँ! आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए सबों को आने का आह्वान करना पड़ेगा
२. शिक्षा का स्तर बढ़ाना मुख्य लक्ष्यों में होना होगा
३.  बिहारियों को स्वावलम्बी बनाने हेतु जरुरी योजनाओं का कार्यान्वयन
४. बिहारी ब्रेन ड्रेन नहीं होने देना होगा
५. बिहार को भी इंडस्ट्रियल हब बनाने की कोशिश (पर्यावरण का संपूर्ण ध्यान रखते हुए)
६. प्लांड सिटी, स्मार्ट सिटी का प्लांड इम्प्लीमेंटेशन
७. बिहार के गाओं का नवीनीकरण

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